न्यायिक प्रणाली में भ्रष्टाचार रोका जाना चाहिए!

Corruption in the judicial system must be stopped!

Corruption in the judicial system must be stopped!

सीजेआई जस्टिस बी.आर. गवई ने स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद पदभार ग्रहण करना सही नहीं है

( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )

नई दिल्ली : Corruption in the judicial system must be stopped!: न्यायिक प्रणाली में भ्रष्टाचार और कदाचार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं का जनता के विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

 अंततः, इस बात की संभावना है कि लोगों का न्याय व्यवस्था की ईमानदारी और निष्ठा पर से विश्वास उठ जाएगा। न्यायमूर्ति गवई ने अपनी चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति गवई हाल ही में यूनाइटेड किंगडम के सर्वोच्च न्यायालय में 'न्याय व्यवस्था की निष्ठा और जनता का विश्वास बनाए रखना' विषय पर आयोजित गोलमेज बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद चुनाव लड़ने और सरकारी पद लेने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह नैतिकता का मामला है और इसकी सार्वजनिक जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस बात का खतरा है कि लोग यह सोचेंगे कि जज भविष्य में मिलने वाले पदों को ध्यान में रखकर ही फैसले देंगे। न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर संदेह पैदा होगा। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने और उनके कुछ अन्य साथियों ने सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद स्वीकार न करने की शपथ ली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता की रक्षा के उद्देश्य से यह निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और कदाचार

जब यह मामला प्रकाश में आया तो सुप्रीम कोर्ट ने बिना देरी किए सख्त कार्रवाई करने का सुझाव दिया।  कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं...

जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कोई राजनीतिक या सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली का समर्थन किया। उन्होंने इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान की सुरक्षा में न्यायाधीशों की स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने याद दिलाया कि विधायिका या कार्यकारी प्रणाली की वैधता मतपत्र के माध्यम से स्थापित होती है। हालांकि, न्यायपालिका की वैधता संवैधानिक मूल्यों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है।